अयोध्या का संदेश…यतो धर्मः ततो जयः एक सूत्र में बंधे देशवासी; प्राण प्रतिष्ठा बना दुनिया का सर्वाधिक देखा जाने वाला समारोह
Ram Mandir Pran Pratishtha पौष माह में शुक्ल पक्ष की द्वादशी संवत 2080 दिन सोमवार। इस एक दिन ने इतिहास की कलंक कथाओं को खत्म किया है। यहां तक पहुंचने की राह में हुई कुर्बानियों को सफल बनाया है। अधर्म पर धर्म की जीत की कथा लिखी है। भव्य राम मंदिर के आधार स्तंभ पर फूलों से लिखा गया यतो धर्मः ततो जयः का संदेश हम सबके लिए है।
Ram mandir Pran Pratistha: अयोध्या का संदेश, यतो धर्मः ततो जयः
हरिशंकर मिश्र, अयोध्या। राम की आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर अयोध्या में सोमवार से नए युग का सूत्रपात हुआ है। यह संदेश मानवता का है, भक्ति का है, श्रद्धा का है और उस संकल्प की सिद्धि का है, जिसने पांच शताब्दियों के संघर्ष के बाद रामलला को उनके भव्य मंदिर में विराजमान किया है।
देश-दुनिया के धर्मावलंबियों की भगवान राम के दरबार में उपस्थिति सांस्कृतिक-धार्मिक एकता की मशाल को और चटख करती है। पूरब-पश्चिम, उत्तर दक्षिण, चारों दिशाएं एक हैं, हर दिशा से लोग पहुंचे हैं और एक ही प्रांगण में हैं। सनातन धर्म ध्वजा आज उस ऊंचाई पर है, जहां से पूरा विश्व उसकी परिधि में है और संदेश स्पष्ट है-.यतो धर्मः, ततो जयः।
राम का अर्थ …’
अनुभूतियों को शब्द देना मुश्किल है, भाव भक्ति को सिर्फ चेहरों पर पढ़ा जा सकता है। यहां पहुंची विशिष्ट विभूतियों और एक करोड़ चालीस लाख लोग भावनाओं के धरातल पर समान हैं। संत राम नाम की अलग-अलग व्याख्या करते हैं। इसका विस्तार अनंत हैं। संत ही बताते हैं कि संस्कृत में रा का शाब्दिक अर्थ है, हमारे में जो ज्योति प्रकाशमान है। राम की यह ज्योति आज हर हृदय में प्रकाशमान है।
अयोध्या में राम की पैड़ी पर यदि सुना जा रहा था कि राम आएंगे, तो गुजरात तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी और देश के अन्य राज्यों में भी। यहां पहुंचे नेपाल के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोपाल प्रसाद पराजुली यदि अपने जीवन को धन्य मानते हैं, जो यहां नहीं पहुंचे उन्हें भी यह गौरवानुभूति है कि उनका जीवन सार्थक हुआ। रामलला प्रतीक्षित थे और अब प्रत्यक्ष हैं।
देशवासियों को राम नाम ने एक सूत्र में बांधा
अयोध्या में लोक मंगल का संगीत बज रहा है और पूरा देश सुन रहा है। कोई संशय नहीं कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह दुनिया का सर्वाधिक देखा गया समारोह होगा। राम नाम के धागों ने पूरे देश को एक सूत्र में बांधा है। अयोध्या की सड़कों पर चलते-चलते युवाओं के एक समूह का अचानक जय श्रीराम का उद्घोष और जय श्रीराम के कोरस में ही जवाबी उद्घोष। इस ऊर्जा को मापा नहीं जा सकता।
कोशलेश सदन के महंत जगद्गुरु स्वामी वासुदेवाचार्य विद्या भास्कर भावों की इस अभिव्यक्ति की व्याख्या करते हैं-राम लोक के प्रतिनिधि हैं। उनके नाम में सार्वभौमिक ऊर्जा है और इसका प्रभाव सर्वव्यापी है। जय श्री राम संभोदन भी है। मानव का मानव के प्रति सम्मान प्रकट करने का भाव। मर्यादा का यह अंश लोक तक पहुंचता है।
सफल हुईं कुर्बानियां
पौष माह में शुक्ल पक्ष की द्वादशी, संवत 2080 दिन सोमवार। इस एक दिन ने इतिहास की कलंक कथाओं को खत्म किया है। यहां तक पहुंचने की राह में हुई कुर्बानियों को सफल बनाया है। अधर्म पर धर्म की जीत की कथा लिखी है।
भव्य राम मंदिर के आधार स्तंभ पर फूलों से लिखा गया यतो धर्मः ततो जयः का संदेश उस पीढ़ी के लिए है जो शायद इतिहास परिवर्तित करने के संघर्ष की कथा से परिचित न हो, लेकिन अपने प्राचीन संस्कारों संस्कारों के प्रति गहरी अनुभूति रखती है।
जैसा कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह समाप्त होने के बाद जगदगुरु रामानुजाचार्य डॉ. राघवाचार्य कहते हैं-अयोध्या हमारी आत्मा के केंद्र में है। यहां का संदेश पूरे देश के लिए है, संपूर्ण मानव समाज के लिए है। देश में आज से नया युग शुरू हुआ है।