चीन संग जमके व्यापार नहीं, बहिष्कार है जरूरी!
भारत-चीन के बीच जैसे संबंध हैं, विदेश नीति के जानकार इस बात पर बल देते हैं कि क्वाड डील जैसे कदमों के जरिये भारत, चीन पर अपनी निर्भरता कम करे.
भारत की पाक जमीन पर नापाक नजर रखनेवाले चीन ने पिछले दिनों एक बार फिर से घुसपैठ की कोशिश की. भारतीय जवानों ने उन्हें खदेड़ डाला. चीन की बौखलाहट इसलिए भी है, क्योंकि एक नई महाशक्ति के रूप में उभर रहे भारत ने कई मोर्चे पर चीन को घेर रखा है. लेकिन व्यापार के मामले में अभी भी संतुलन बनाना जरूरी है. आइए आंकड़ों में समझते हैं.
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चीन अभी भी भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर बना हुआ है. अमेरिका के बाद भारत सबसे ज्यादा व्यापार चीन के साथ करता है. 2021-22 में अमेरिका के साथ भारत का आंकड़ा 12 फीसदी, जबकि चीन के साथ यह आंकड़ा 11 फीसदी रहा.
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भारत और चीन के बीच आयात और निर्यात में करीब 5 गुना अंतर है. चीन संग टोटल ट्रेड का 80 फीसदी से ज्यादा हिस्सा भारत आयात करता है, जबकि निर्यात का आंकड़ा 20 फीसदी है.
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चीन से भारत की खरीदारी की बात करें तो सबसे टॉप पर कंप्यूटर, लैपटॉप है. खरीदारी का यह आंकड़ा 5.34 बिलियन डॉलर का है.
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वहीं चीन, भारत से सबसे ज्यादा अयस्क और ऑर्गेनिक केमिकल्स खरीदता है. यह आंकड़ा क्रमश: 2.54 बिलियन डॉलर और 2.38 बिलियन डॉलर का है.
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केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में जो आंकड़े पेश किए, उसके अनुसार चीन के साथ भारत का का व्यापार घाटा 44 अरब डॉलर पार कर चुका है. 2004-05 तक यह आंकड़ा महज 1.48 अरब डॉलर हुआ करता था. विदेश नीति के जानकार इस बात पर बल देते हैं कि क्वाड डील जैसे कदमों के जरिये भारत, चीन पर अपनी निर्भरता कम करे.
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मुंह पर चीन की तारीफ और पीछ पीछे दुश्मनों को मदद
कुछ दिन पहले ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चीन की शान में जमकर तारीफ की थी। उन्होंने तो चीन को एशिया का निर्विवाद नेता तक करार दिया था। पुतिन का दावा था कि उनका चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बहुत भरोसेमंद व्यक्तिगत संबंध हैं। पुतिन ने ही खुलासा किया था कि रूस और चीन साथ मिलकर कई हाई-टेक हथियारों को बना रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया था कि रूस और चीन अंतरिक्ष और एविएशन सेक्टर में भी सहयोग कर रहे हैं। इसके बावजूद पुतिन यह जानते हैं कि चीन पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं किया जा सकता।
चीन पर क्यों भरोसा नहीं करता है रूस
चीन हमेशा से रूस के व्लादिवोस्तोक शहर पर अपना दावा करता है। दूसरा, पूर्वी चीन सागर और पश्चिमी प्रशांत महासागर में ड्रैगन विस्तार का इरादा रखता है। ऐसे में रूस यह जानता है कि अगर चीन को वह अपनी तरफ से पूरी छूट देता है तो वह उसकी सीमा पर भी कुछ नापाक हरकत कर सकता है। यही कारण है कि रूस उन देशों को लगातार हथियारों की सप्लाई कर रहा है, जिनका चीन के साथ पुरानी दुश्मनी है। इसमें भारत, वियतनाम, म्यांमार की नागरिक सरकार, इंडोनेशिया और मलेशिया शामिल हैं। इन सभी देशों के साथ चीन के सीमा और समुद्री विवाद हैं।