October 18, 2024

मेवात दिवस के रूप में मनाया 19 दिसंबर

मुल्क बंटवारे के समय 19 दिसंबर 1947 को महात्मा गांधी व तत्कालीन मुख्यमंत्री गोपीचंद भार्गव व स्वतंत्रा सेनानी रणवीर सिंह हुड्डा ने मेवात के बड़े गांव घासेड़ा में आकर मेवात कौम को पाकिस्तान पलायन करने से रोका था। उसी समय मेवों ने यह कह दिया था कि उनका मुल्क हिंदुस्तान है और वो यहीं रहेंगे यहीं मरेंगे। उनकी आवाज पर ही आज मेवात आबाद है। उन्होंने कहा लेकिन बड़ा सवाल है कि आज भी मेवात हरियाणा के अन्य जिलों से पीछे है। इसके लिए हमें क्या करना चाहिए। लोगों के साथ-साथ प्रशासन व सरकार से क्या सहयोग होना चाहिए। सेमीनार का आयोजन भी किया  जिसमें मेवात और गांधी जी.. फिर भी मेवात पिछड़ा क्यों? सेमीनार का विषय|

इतिहासकार सिद्दीक अहमद मेव, जिनके पास मेवात के इतिहास पर 10 किताबें हैं, कहते हैं, “गांधीजी ने मेवाती मुस्लिम प्रतिनिधियों द्वारा उन्हें भेजी गई शिकायतों को भी एकत्रित भीड़ के सामने पढ़ा।” उन्होंने मेवातियों को आश्वासन दिया कि उन्हें पूरा सम्मान दिया जाएगा। अगर कोई भी सरकारी अधिकारी मेवातियों के साथ कोई अत्याचार करेगा तो सरकार उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। गांधीजी ने कहा, “मुझे ख़ुशी होगी अगर मेरे शब्द आपको थोड़ा सांत्वना दे सकें।” उन्होंने अलवर और भरतपुर की रियासतों से निकाले गए मुसलमानों पर दुःख व्यक्त किया। गांधीजी ने अपने भाषण में कहा, “भारत में एक समय आएगा जब सारी नफरतें जमीन में दफन हो जाएंगी और दोनों समाज शांति से रह सकेंगे।”

लंदन मे कुछ मेवाती मेवात दिवस मनाते हुए|

Mewati in London

HrGroup

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