October 18, 2024

‘Mewat Kal Aaj Kal’ Held 11th Heritage Walk At Moosi Mahal Tijara Alwar(Raj).

सबसे पहले तो शुक्रिया Mewat Kal Aaj Kal आपका…

हमनें 2014-2015 में जिस मक़सद के तहत आपके नाम (मेवात कल आज कल) के साथ, अपने इलाक़े (मेवात) में इस बेशक़ीमती और बेलोस काम की शुरूआत की थी, उसमें बेशक़ काफ़ी बरकत हुई है… मेवात कल आज कल ने ख़ुद को बहुत ही ज़िम्मेदारी के साथ एस्टेबिलिश कर लिया है। मेवात कल आज कल ने इज़्ज़त कमाई है, एहतराम कमाया है, यही इसकी सबसे बड़ी कमाई है, सबसे बड़ी दौलत है…
जैसा कि आप बख़ूबी वाकिफ़ हैं इस बात से कि मेवात कल आज कल का फोकस यूं तो समाज के तमाम सोपानों और सरोकारों को क़ायदे से कवर करना है। हालांकि कोशिश हमेशा ये रही है कि कंटेंट की क़्वालिटी के साथ किसी भी तरह का कॉम्प्रोमाइज़ नहीं किया जाएगा… ऐसा हरग़िज़ नहीं होगा कि व्यूवरशिप के चक्कर में फंसकर, वाहियात कंटेंट परोसा जाए… नो नेवर, एवर…

कंटेंट लॉजिकल हो, फैक्चुअल हो, कॉन्सेप्चुअल हो, लीगल हो, एथिकल हो इस बात का हमेशा ख़्याल रखा जाता रहा है, रखा जाता रहेगा… कुल-मिलाकर ऐसा कंटेंट मुहैया कराने की कोशिश रही है, जिसे आम से ख़ास, बड़े-बुज़ुर्ग, हमारी बहन-मां-बेटी और नौजवान तबका कोई भी देख सके और उसे अच्छा लगे…

बहरहाल, जहां तक बात है मेवात कल आज कल के ज़रिए चलाई जा रही हैरिटेज वॉक्स की, तो इसमें वाक़ई उम्मीद से ज़्यादा सक्सेस मिली है, आप सबने अपनी बुज़ुर्गों के अतीत, उनकी तारीख़ और उनकी विरासत को जानने और समझने में जो दिलचस्पी दिखाई, वो वास्तव में ज़िंदा क़ौमों की निशानी है…

Mujtaba Mannan और Abdus Samad Habib ने जिस फिक्र और दिलचस्पी के साथ इन वॉक्स को मज़ेदार बनाकर मेवात में एक पॉजिटिव नैरेटिव पेश कर दिया है, उसके लिए आप सब उन्हें मुबारकबाद दे सकते हैं… मुज़तबा भाई और समद भाई के इस आइडिया को हम सबने अमलीजामा पहनाकर, उनकी हिम्मत और हौसलों को मजीद परवाज़ दी है…

और यक़ीनन जिस क़दर आप सबने मेवात कल आज कल पर यक़ीन जताया है, उसके लिए हम आप सबके शुक्रगुज़ार, एहसानमंद हैं… शायद आपका यही भरोसा है कि हम इस मुक़म्मल तौर पर नॉन प्रोफिट काम को, ज़िंदगी के अपने तक़ाज़ों, जद्दोजहद और मशक्कत के बावजूद मुसलसल आगे बढ़ाते जा रहे हैं…

जल्द मुलाक़ात होगी आपसे मेवात की किसी और धरोहर पर, ताकि उसे बचाने, सहेजने और संवारने को लेकर मेवात में एक बहस हो… विचार-विमर्श हो

आती-जाती रहेंगी ये बहारें…

घर बैठे-बैठे किसी के बारे में राय मत बनाइए,
किसी और की राय को अपनी राय मत बनाइए…
-मुहम्मद ज़ुबेर ख़ान *

HrGroup

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